हारने से जीतने की खाविश कम नहीं होती
टूटने से जुड़ने की कोशिश कम नहीं होती
तपने से ही सोना निखर कर आता है
और गम में ही ख़ुशी तोह सबसे हसीं कहलाता है !
Friday, June 24, 2011
ख्वाइश
यह ख्वाइश हैं मेरी खुदा से , जिस चीज़ पे तू हाथ
रखे वो चीज़ तेरी हो और जिस से तू प्यार करे
वोह तकदीर मेरी हो !
रखे वो चीज़ तेरी हो और जिस से तू प्यार करे
वोह तकदीर मेरी हो !
हाथों की लकीरे
हाथों की लकीरों मैं किस्मत होती है
मिलना और भूल जाना लोगो की फितरत होती है ,
बिखरता तो हर कोई है दर्द में ,
मगर गम भुलाना इंसान की जरुरत होती है .
मिलना और भूल जाना लोगो की फितरत होती है ,
बिखरता तो हर कोई है दर्द में ,
मगर गम भुलाना इंसान की जरुरत होती है .
ख्वाब
ख्वाबों को हकीकत में बदल कर तो देख
पिंजरे की सलाखों में है उड़ने की रह भी
गुलामी को बगावत में बदल कर तो देख
खुद -बी -खुद हल होंगी जिंदगी की मुश्किलें
बस ख़ामोशी को सवालों में बदल कर तो देख
चट्टाने भी टूटेंगी इन्ही हाथों के भरोसे
अपनी आरज़ू को इबादत में बदल कर तो देख
अँधेरी राहों में चमकेगी सूरज की रौशनी
अंगूठे को दस्तखत में बदल कर तो देख
होंसला कम ना होगा तेरा तूफ़ान के सामने
म्हणत को इबादत में बदल कर तो देख
क़दमों के टेल खुद होंगी मंजिलें तेरी
मेरी बातों को नसीहत में बदल कर तो देख
बस एक बार ज़िन्दगी में प्यार करके देख
प्यार की पाकीजगी को इबादत बना के देख
पिंजरे की सलाखों में है उड़ने की रह भी
गुलामी को बगावत में बदल कर तो देख
खुद -बी -खुद हल होंगी जिंदगी की मुश्किलें
बस ख़ामोशी को सवालों में बदल कर तो देख
चट्टाने भी टूटेंगी इन्ही हाथों के भरोसे
अपनी आरज़ू को इबादत में बदल कर तो देख
अँधेरी राहों में चमकेगी सूरज की रौशनी
अंगूठे को दस्तखत में बदल कर तो देख
होंसला कम ना होगा तेरा तूफ़ान के सामने
म्हणत को इबादत में बदल कर तो देख
क़दमों के टेल खुद होंगी मंजिलें तेरी
मेरी बातों को नसीहत में बदल कर तो देख
बस एक बार ज़िन्दगी में प्यार करके देख
प्यार की पाकीजगी को इबादत बना के देख
सपने
साथ नहीं रहने से रिश्ते नहीं टुटा करते
वक़्त की धुंध से लम्हे नहीं टुटा करते
लोग कहते हे मेरा सपना टूट गया
टूटी नींद है सपने नहीं टुटा करते
वक़्त की धुंध से लम्हे नहीं टुटा करते
लोग कहते हे मेरा सपना टूट गया
टूटी नींद है सपने नहीं टुटा करते
Wednesday, April 6, 2011
शायरी प्यार मोहब्बत
इंतझार शायरी
घांव इतना गहरा है बयां क्या करे
हम खुद निशाना बन गये अब वार क्या करे
जान निकल गयी मगर खुली रही आंखें
अब इससे ज्यादा उनका इंतझार क्या करे
दर्द शायरी
उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम
उसके ग़मोको हंसींसे सजा रहे थे हम
जलाया उसी दिए ने मेरा हाथ
जिसकी लो को हवासे बचा रहे थे हम
हिन्दी कविता
शेरो शायरी
ये आरजू...
ये आरजू नहीं की किसी को भुलाए हम
ना तमन्ना की किसी को रुलाए हम
पर दुआ है रब से इतनी की
जिसको जितना याद करते है उसको उतना याद आये हम...
ना तमन्ना की किसी को रुलाए हम
पर दुआ है रब से इतनी की
जिसको जितना याद करते है उसको उतना याद आये हम...
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