Friday, June 24, 2011

हार - जीत

हारने से जीतने की खाविश कम नहीं होती
टूटने से जुड़ने की कोशिश कम नहीं होती
तपने से ही सोना निखर कर आता है
और गम में ही ख़ुशी तोह सबसे हसीं कहलाता है !

ख्वाइश

यह ख्वाइश हैं मेरी खुदा से , जिस चीज़ पे तू हाथ
रखे वो चीज़ तेरी हो और जिस से तू प्यार करे
वोह तकदीर मेरी हो !

हाथों की लकीरे

हाथों की लकीरों मैं किस्मत होती है
मिलना और भूल जाना लोगो की फितरत होती है ,
बिखरता तो हर कोई है दर्द में ,
मगर गम भुलाना इंसान की जरुरत होती है .

ख्वाब

ख्वाबों को हकीकत में बदल कर तो देख
पिंजरे की सलाखों में है उड़ने की रह भी
गुलामी को बगावत में बदल कर तो देख
खुद -बी -खुद हल होंगी जिंदगी की मुश्किलें
बस ख़ामोशी को सवालों में बदल कर तो देख
चट्टाने भी टूटेंगी इन्ही हाथों के भरोसे
अपनी आरज़ू को इबादत में बदल कर तो देख
अँधेरी राहों में चमकेगी सूरज की रौशनी
अंगूठे को दस्तखत में बदल कर तो देख
होंसला कम ना होगा तेरा तूफ़ान के सामने
म्हणत को इबादत में बदल कर तो देख
क़दमों के टेल खुद होंगी मंजिलें तेरी
मेरी बातों को नसीहत में बदल कर तो देख
बस एक बार ज़िन्दगी में प्यार करके देख
प्यार की पाकीजगी को इबादत बना के देख

सपने

साथ नहीं रहने से रिश्ते नहीं टुटा करते
वक़्त की धुंध से लम्हे नहीं टुटा करते
लोग कहते हे मेरा सपना टूट गया
टूटी नींद है सपने नहीं टुटा करते

Wednesday, April 6, 2011

शायरी प्यार मोहब्बत

प्यार मोहब्बत

उस को मेरा हलका सा एहसास तो है
बे-दर्द सही वह मेरी हमराज तो है
वह आये या ना आये मेरे पास लेकिन
शिद्दत से मुझे उसका इंतजार तो है
अभी नही तो क्या हुआ मिल जायेगी कभी
मेरे दिलमे उससे मिलने की आस तो है
प्यार की गवाही मेरे आंसू से ना मांग
बरसती नही आंखें मगर दिल उदास तो है

इंतझार शायरी

इंतझार

घांव इतना गहरा है बयां क्या करे
हम खुद निशाना बन गये अब वार क्या करे
जान निकल गयी मगर खुली रही आंखें
अब इससे ज्यादा उनका इंतझार क्या करे

दर्द शायरी

Dard Shayari

उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम
उसके ग़मोको हंसींसे सजा रहे थे हम
जलाया उसी दिए ने मेरा हाथ
जिसकी लो को हवासे बचा रहे थे हम

हिन्दी कविता

कविता

कभी उसको नजरअंदाज न करो
जो तुम्हारी बहुत परवाह करता हो
वरना किसी दिन तुम्हें एहसास होगा
के पत्थर जमा करते करते तुमने हीरा गवा दिया...

शेरो शायरी

Dard Shayari

काश वो पल संग बिताए न होते
जिनको याद कर के ये आँसू आये ना होते
खुदा को अगर इस तरह दूर ले जाना ही था
तो इतनी गहराई से दिल मिलाए ना होते

ये आरजू...

ये आरजू नहीं की किसी को भुलाए हम
ना तमन्ना की किसी को रुलाए हम
पर दुआ है रब से इतनी की
जिसको जितना याद करते है उसको उतना याद आये हम...